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मुंबईएक घंटा पहले
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- सरकार 2022 तक 10 करोड़ नई मैन्युफैक्चरिंग नौकरियों को पैदा करना चाहती है
- चीन के लेनोवो ग्रुप की मोटोरोला ने अमेरिकी बाजार में डिवाइस बनाने के लिए डिक्सन को चुना है
लगभग 30 साल पहले सुनील वच्छानी ने 25 लाख रुपए उधार लिया था। यह उधारी इसलिए लिया ताकि वह नई दिल्ली के बाहर किराए के शेड में 14 इंच के टेलीविजन सेट बनाना शुरू कर सकें। यह उस समय का मामला था, जब भारत मैन्युफैक्चरिंग में पूरी तरह से पीछे था। आज इसी उधारी से वच्छानी ने 18,250 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है।
विशाल इलेक्ट्रॉनिक्स का साम्राज्य खड़ा किया
आज वच्छानी का स्टार्टअप एक विशाल इलेक्ट्रॉनिक्स साम्राज्य के रूप में विकसित हो चुका है। उनकी डिक्सन टेक्नोलॉजीज 2.5 अरब डॉलर से अधिक के वैल्यूएशन वाली कंपनी है। इस साल करीब 5 करोड़ स्मार्टफोन्स बनाने का लक्ष्य रखी है। क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे सामानों के निर्माण को टॉप प्राथमिकता दी है। इसलिए ऐसी कंपनियों का भविष्य भारत में उज्जवल देखा जा रहा है।
2017 में आया था आईपीओ
52 साल के वच्छानी ने अपने शुरुआती दिनों में संघर्ष किया। उनकी कंपनी ने 2017 में आईपीओ लाया था। तब से यह शेयर 8.24 गुना बढ़ चुका है। आज इसके एक शेयर की कीमत 17,400 हजार रुपए से ज्यादा है। स्मार्टफोन की घरेलू मांग की बिक्री और मुनाफे में तेजी आई है। वच्छानी ने एक टेलीफोन इंटरव्यू में कहा कि यह केवल एक शुरुआत है। हम भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनते हुए देख रहे हैं।
अरबपति परिवारों में शामिल हैं
कंपनी के संस्थापक और उनके भाई-बहन अब भारत के अरबपति परिवारों में हैं। लगभग 90 करोड़ डॉलर उनकी हिस्सेदारी है। वच्छानी ने नई दिल्ली के लुटियंस जोन के पड़ोस में 2 करोड़ डॉलर में हवेली खरीदी है। मोदी प्रशासन ने नौकरियां पैदा करने और आर्थिक विकास के लक्ष्य के साथ कई नीतियों और प्रोत्साहनों को घोषित किया है। इंपोर्टेड स्मार्टफोन जैसे उत्पादों पर भारी शुल्क के साथ-साथ देश ने स्थानीय कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए अक्टूबर में नकद प्रोत्साहन कार्यक्रम (cash incentive program) शुरू किया था।
डिक्सन और फॉक्सकोंन टेक्नोलॉजी ग्रुप और विस्ट्रॉन कॉर्प जैसे लोगों के मार्केट में आने से भारत में मैन्युफैक्चरिंग में काफी तेजी आई है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव और कोरोना महामारी के मद्देनजर अब यह प्रयास और भी तेज हो गया है।
भारत में 33 करोड़ स्मार्ट फोन बन रहे हैं, चीन में 1.5 अरब स्मार्ट फोन
इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन के अनुसार, भारत अभी भी चीन से पीछे है। चीन में 1.5 अरब स्मार्ट फोन साल में बनते हैं। भारत में 33 करोड़ स्मार्टफोन बन रहे हैं। फिर भी डिक्सन इस बात का उदाहरण है कि भारत कितनी जल्दी से बदल रहा है। इसने सरकार के प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू होने के बाद पिछले साल लगभग 20 लाख स्मार्टफोन की क्षमता को बढ़ाकर लगभग 40 लाख कर दिया है। यह आगामी सालों में और भी बढ़ने वाली है।
चीन के सप्लाई चेन का विकल्प है भारत
डेलॉय इंडिया के पार्टनर पीएन सुदर्शन कहते हैं कि चीन के सप्लाई चेन का विकल्प बनने के लिए भारत हर तरह से योग्य है। वच्छानी एक उद्यमी परिवार से आते हैं। उनके पिता और भाई-बहन ने वेस्टन ब्रांड के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों का उत्पादन करने वाला एक व्यवसाय शुरू किया था। उन्होंने देश का पहला कलर टेलीविजन और वीडियो रिकार्डर बनाया। वीडियो गेम पार्लर भी चलाया। वच्छानी लोग सिंधी समुदाय से आते हैं जो बिजनेस करने में माहिर माने जाते हैं।
लंदन में बिजनेस की पढ़ाई शुरू की
लंदन में बिजनेस की पढ़ाई करने के बाद सुनील ने फैमिली बिजनेस में शामिल होने की बजाय 1993 में अपने तरीके से जाने का विकल्प चुना। एक ऐसा फैसला जो आगे चलकर मुश्किल का कारण बना। वह वर्किंग कैपिटल खो चुके थे और उन्हें समझ में आ गया कि बैंक बिना गारंटी के कोई उधार नहीं देंगे। अंततः उन्होंने एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट को चुना।
महज 1.5 डॉलर के फायदे के लिए टीवी बनाना शुरू किया
व्यापार के लिए वे इतने बेताब थे कि वह महज 1.5 डॉलर के फायदे पर भी 14 इंच वाले कलर टेलीविजन बनाने पर राजी हो गए। बाद में उन्होंने देश के अग्रणी मोबाइल ऑपरेटर भारती एयरटेल लिमिटेड के लिए सेगा गेम कंसोल, फिलिप्स वीडियो रिकॉर्डर और पुश बटन मोबाइल फोन बनाए। डिक्सन की किस्मत साल 2000 के दशक में सुधरने लगी, जब एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल ने कंपनी को मुफ्त वितरण के लिए टेलीविजन बनाने का ठेका दिया।
भारत का भविष्य सॉफ्टवेयर में है
वच्छानी ने कहा कि मैंने जो सुना वह यह था कि भारत का भविष्य सॉफ्टवेयर में है। निवेशक भी शुरुआत में उलझन में थे। डिक्सन के आईपीओ से पहले मनी मैनेजर्स ने दलील दी कि भारत चीन के साथ मुकाबला नहीं कर सकता। वच्छानी ने आखिरकार करीब 6 अरब रुपए आईपीओ से जुटाए। डिक्सन अब Xiaomi कॉर्प के लिए टेलीविजन बनाती है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक के लिए वाशिंग मशीन और फिलिप्स के लिए लाइटिंग प्रोडक्ट बनाता है। भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 2017 में 46.8 करोड़ से बढ़कर 2022 में 85.9 करोड़ होने का अनुमान है।
सरकार ने अंततः कुछ साल पहले डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग की ओर अपना ध्यान दिया। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स आयात बिल में कमी करना और बहुत जरूरी रोजगार पैदा करना था। लेकिन प्रगति काफी धीमी रही है।
जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 14%
मैन्युफैक्चरिंग ने 2020 में GDP में 17.4% योगदान दिया जबकि 2000 में इसका योगदान 15.3% था। मैकिंजी एंड कंपनी के अनुसार, भारत में आईफोन का उत्पादन करने के एपल के पहले सप्लायर विस्ट्रॉन को तब दिक्कत आने लगी जब उसकी कंपनी में दंगाइयों ने तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। एपल ने ताइवान की कंपनी को नए ऑर्डर देने से मना कर दिया। सरकार ने घोषणा की है कि वह 2022 तक 10 करोड़ नई मैन्युफैक्चरिंग नौकरियों को पैदा करना चाहती है। इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन के अनुसार, यह फोन निर्यात में मौजूदा 7 अरब डॉलर से 2025 तक 110 बिलियन डॉलर का लक्ष्य रख रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर निर्यात का एक बड़ा हिस्सा लेने के लिए खुद को तैयार कर रहा है
वच्छानी ने कहा कि डिक्सन बड़े ब्रांडों के लिए विश्व स्तर पर मैनुफैक्चरिंग और निर्यात का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है। अब चीन के लेनोवो ग्रुप लिमिटेड की मोटोरोला ने अमेरिकी बाजार के लिए डिवाइस बनाने के लिए डिक्सन को चुना है। नोकिया ब्रांड के लिए लाइसेंस लेने वाले फिनलैंड के एचएमडी ग्लोबल ने हाल ही में इसी तरह की डील साइन की है। अगले साल तक कंपनी की योजना करीब 7.5 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन करने और टैबलेट, लैपटॉप और वियरेबल जैसी श्रेणियों में विस्तार करने की है।
वच्छानी कहते हैं कि यह इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए गोल्डन मोमेंट है। फ़िलहाल भारत इसका सबसे अच्छा ठिकाना है।