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नई दिल्ली19 मिनट पहले
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मौजूदा सर्वेक्षण में औपचारिक सेक्टर के उन्हीं प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाता है, जिनमें 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं
- नए सर्वेक्षण में अनौपचारिक क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा
- उन प्रतिष्ठानों के आंकड़े भी लिए जाएंगे, जिनमें 10 से कम लोग काम करते हैं
- नए सर्वेक्षण का सैंपल साइज मौजूदा सर्वेक्षण के मुकाबले 10 गुना बड़ा होगाा
अगले साल मार्च से सरकार रोजगार पर नया सर्वेक्षण जारी करेगी। इस सर्वेक्षण के आंकड़े हर तीन महीने पर आएंगे। नया सर्वेक्षण देश में रोजगार और बेरोजगार की स्थिति की ज्यादा सही तस्वीर प्रस्तुत करेगा।
एक अधिकारी ने कहा कि मौजूदा सर्वेक्षण में औपचारिक सेक्टर के उन्हीं प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाता है, जिनमें 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं। नए सर्वेक्षण में अनौपचारिक क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा और उन प्रतिष्ठानों के आंकड़े भी लिए जाएंगे, जिनमें 10 से कम लोग काम करते हैं। ऐसा करने से नए सर्वेक्षण का सैंपल साइज 10 गुना बढ़ जाएगा।
नए सर्वेक्षण में दो मौजूदा सर्वेक्षणों को मिला दिया जाएगा
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रपोर्ट के मुताबिक नए सर्वेक्षण में दो मौजूदा सर्वेक्षणों को मिला दिया जाएगा। दोनों मौजूदा सर्वेक्षणों में क्वार्टरली एंप्लाईमेंट सर्वे (QES) और एरिया फ्रेम इस्टैबलिशमेंट सर्वे (AFES) शामिल हैं। नए सर्वेक्षण का नाम हो सकता है ऑल इंडिया क्वार्टरली बेस इस्टैबलिशमेंट सर्वे (AIQBES)।
मौजूदा सर्वेक्षण का दायरा छोटा है
नए सर्वेक्षण का मुख्य मकसद देश की वास्तविक रोजगार स्थिति को ज्यादा अच्छी तरह से समझना है। नए सर्वेक्षण को नेतृत्व देने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्तमान सर्वेक्षण का दायरा सीमित है, क्योंकि इनमें सिर्फ औपचारिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाता है। इसके साथ ही इनमें उन्हीं प्रतिष्ठानों के आंकड़े लिए जाते हैं, जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
रोजगार की ज्यादा सही हालत का पता चलेगा
नए सर्वेक्षण में अनौपचारिक क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। उन प्रतिष्ठानों के आंकड़े भी लिए जाएंगे, जिनमें 10 से कम लोग काम करते हैं। ऐसा करने से नए सर्वेक्षण का सैंपल साइज 10 गुना बढ़ जाएगा। मुख्य श्रम आयुक्त डीपीएस नेगी के मुताबिक नए सर्वेक्षण से देश में रोजगार की ज्यादा सही स्थिति का पता चल सकेगा।
क्वार्टरली एंप्लॉईमेंट सर्वे 2017 में रोक दिया गया था
क्वार्टरली एंप्लॉईमेंट सर्वे 2017 में रोक दिया गया था। उस समय नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने पहला पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे लांच किया था। हालांकि AIQBES को लांच करने के लिए एसपी मुखर्जी के नेतृत्व में बनाए गए ग्रुप ने कथित तौर पर कहा कि देश में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति की तस्वीर पेश करने में सालाना हाउसहोल्ड सर्वेक्षण के मुकाबले तिमाही प्रतिष्ठान आधारित सर्वेक्षण ज्यादा प्रभावी होगा।